संदेश

फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !

देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...

युक्रेन-रूस युद्ध :कारण और प्रभाव तथा भारत

चित्र
 रूस- यूक्रेन : शांति के लिए युद्ध रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है ,बार बार मना करने और केवल युद्ध अभ्यास बताने के बाद आखिर पुतिन ने आदेश दिया और पांच मिनट बाद रसियन आर्मी ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। कारण : रूस पिछले कई वर्षो से यूक्रेन पर दबाव बना रहा था। यूक्रेन रूस से अलग हुआ स्वतंत्र देश है। यूरोप से सीधी पहुंच के कारण नाटो में शामिल होने का फैसल कर चुका और इसी वजह से रूस इसको अपने लिए खतरा समझ रहा था। मास्को से कीव (यूक्रेन की राजधानी) बहुत करीब है। अगर नाटो गठबंधन रूस की छाती पर चढ़ने को बेताब था तो रूस जल्दी से इस संभावना को समाप्त करने को बेचैन था। जाहिर है कोई भी देश अपना निर्णय अपने हितों के लिए ले सकता है; इस सिद्धांत को यूक्रेन और रूस दोनो के लिए न्यायसंगत कहा जा सकता है।यूक्रेन अपने हित और रूस अपने हित देख रहा है। सही या गलत :  युक्रेन में बड़ी संख्या में रसियन समर्थक लोग हैं ,ज्यादातर रसियन भाषा बोलते हैं। वहीं यूक्रेन सरकार स्वाधीन राष्ट्र और स्वाभिमान के लिए लड़ाई कर रही है।  बहुत से ऐसा मानते हैं अपनो का अपनो के खिलाफ युद्ध हो रहा है। राजनीति,म...

बालों के झड़ने, रूसी और सफेद होने से बचाव के आयुर्वेदिक उपाय

चित्र
 इस आलेख में : हेल्थ टिप्स बालों को असमय सफेद होने से रोकने के घरेलू और प्राकृतिक उपाय   बालों से रूसी हटने के आयुर्वेदिक उपाय बालों को असमय झड़ने और गंजापन से बचाव के आयुर्वेदिक उपचार आयुर्वेद में बिना साइड इफेक्ट के बालों की समस्याओं से निजात पाने के अनेक रामबाण उपचार और रखरखाव के तरीके बताया गया है।  आज की भाग दौड़ और प्रतिस्पर्धा के दौर में व्यक्ति मानसिक तनाव से ग्रस्त रहता है। मानसिक तनाव अनेक बीमारियों को आमंत्रित करता है। व्यक्ति का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर पड़ता जाता है जिससे कम उम्र में ही प्रौढ़ दिखने लगता है। शरीर की कोशिकाएं जल्दी बूढ़ी होने लगती हैं। चेहरे पर झुर्रियां आने लगती हैं तथा बाल झड़ने लगते है व सफेदी आने लगती है। असमय होने वाले ऐसे नकारात्मक बदलावों से शरीर को प्रोटेक्ट किया जा सकता है।  आज आपको बालों की रूसी, सफेदी  और बाल झड़ने की समस्या से निजात पाने तथा सामान्य स्थिति में बने रहने का आयुर्वेदिक नुस्खे बताना चाहूंगा। 1. चौलाई का रस या जूस पीने से कुछ ही दिनों में बाल उड़ने बंद हो जाएंगे। चौलाई में लाइसिन और अमीनो...

हिजाब विवाद:व्यक्ति बनाम राष्ट्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार

चित्र
  हिजाब विवाद, व्यक्ति बनाम राज्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संदर्भ में          फोटो: pexels पिछले दिनों कर्नाटक राज्य में छात्राओं द्वारा हिजाब पहन कर शिक्षण संस्थानों में आना एक पक्ष को अनुचित लगा और हिजाब विवाद न्यायालय तक पहुंच गया।  मीडिया ने अपने अपने अनुसार ट्रायल किया और इसको राष्ट्रीय मुद्दा बना कर समस्या के रूप में प्रचारित कर आम जन का ध्यान खींचा। इस विषय को ले कर दो पक्ष हैं जो विपरीत राय रखते हैं। कुछ लोग इसको व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार मानते हैं और कुछ इसको धर्म और राष्ट्र के तराजू में रख रहे हैं। लेकिन बड़ी संख्या में तीसरा पक्ष भी है जो इसको ले कर उदासीन है।  लेकिन दो पक्ष जो सोशल और इलोक्ट्रोनिक मीडिया पर अपनी अपनी दलीलें दे कर बराबर प्रयासरत हैं कि वो सही साबित हों। आइए जानते हैं दोनो पक्षों को; हिजाब पर पाबंदी के पक्ष में तर्क: हिजाब विवाद पर आम जनता दो भागों में विभाजित है। एक पक्ष का कहना है कि हिजाब या धार्मिक वस्त्र शिक्षण संस्थानों में नही पहने चाहिए क्योंकि: 1. छात्राओं और छात्रों में विभाजन होता है। 2. आधुनि...

गुरु शिष्य परंपरा : लोक कथानक और आख्यान तथा संस्कृति, भोज बगड़ावत लोक कथा के विशेष संदर्भ में।

चित्र
 भोज  बगड़ावत लोक कथा में गुरु शिष्य परंपरा :विशेष संदर्भ भारत में प्राचीन काल में गुरु शिष्य संबंध को विशेष दर्जा हासिल रहा है। यह रक्त और वैवाहिक संबंधों के अतिरिक्त विशिष्ट संबंध रहा है। भारतीय वांग्यमय में गुरु शिष्य परंपरा को मित्रता और रक्त संबंधों से भी बढ़ कर माना गया है। महाभारत में द्रोण और रामायण में गुरु  वशिष्ठ का उल्लेख बड़े आदर के साथ लिया जाता है। इन दोनो महाकाव्य और गाथाओं के बाद गुरु शिष्य परंपरा का उल्लेख ठीक इसी तरह भोज बगड़ावत लोक गाथा में भी मिलता है। रामायण और महाभारत में गुरु शिष्य संबंध : रामायण में गुरु विश्वामित्र का दायित्व शिष्य के शिक्षण के बाद वैवाहिक उत्तरदायित्व निर्वहन तक उल्लेखित है। तदोपरांत सीता के निर्वासन काल में आश्रय दे कर लव और कुश को भी शिक्षा देने तक मिलता है। शिष्य का दायित्व शिक्षा प्राप्ति काल के बाद तक रहा है। महाभारत में गुरु द्रोण का उल्लेख सकारात्मक और नकारात्मक रूप दोनो में मिलता है। नकारात्मक रूप में  एकलव्य के अंगूठा दान में लेने और राज्य के प्रति निष्ठा निभाने के रूप में और सकारात्मक रूप में राज्य के लिए  यु...

पुष्पा फिल्म;आर्थिक असमानता,अपराध और आइना : समीक्षा

चित्र
 पुष्पा, आर्थिक असमान भारत और अपराध: फिल्म समीक्षा 1970/80 के दशक में अमिताभ बच्चन सुपर स्टार बना उसके पीछे की वजह गरीब और आर्थिक बदहाल भारत के गुस्से की अभिव्यक्ति अमिताभ की फिल्मों में एंग्री यंग मैन के रूप में होना भी एक वजह थी। युवाओं ने अपने सीने पर "मर्द" लिखवाना फैशन बना लिया था, गोया घोर गरीबी, शोषण और अन्याय से पीड़ित इंसान अपने आपको दिलासा देता और अपने दर्द को "मर्द के कभी दर्द नही होता" डायलॉग में छुपाता। उस समय सरकारी और गैर सरकारी मिलों में कामगार अकसर हड़ताल करते और गरीब इंसान दो वक्त की रोटी के जुगाड के साथ ही अमिताभ की फिल्मों की बातें करता था। वो फिल्में युवाओं को स्वप्न दिखाती और युवा पैसा, सम्मान और प्यार के दिवस्वप्नी नशे की भूल भुलैया में जवानी गुजार रहा था। तब भारत कठिन दौर से गुजर रहा था, पाकिस्तान और चीन से युद्ध, खाद्यान्न संकट, बढ़ती जनसंख्या, आंदोलन इत्यादि। इसी गुस्से ने सशक्त सत्ताधीश इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर दिया। आज 2021/22 में दुनिया की आर्थिक मंदी,भारत में नोट बंदी, कोविड आपदा के बाद सांप्रदायिक तनाव और आर्थिक  ब...