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कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !

देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...

Subservience (2025) Review Hindi | AI और इंसान का संघर्ष

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Subservience: जब तकनीक मानवता के लिए चुनौती बन जाए | Hollywood Movie समीक्षा। आज की दुनिया में तकनीक ने हमारे जीवन को जितना आसान बनाया है, उतना ही जटिल भी कर दिया है। इसी द्वंद्व को उजागर करती है फिल्म “Subservience”, जो भविष्य की एक सोचनीय और रोमांचक कहानी प्रस्तुत करती है। यह कहानी मानव की उपलब्धियों और चुनौतियों को एक साथ सामने लाती है। कहानी की झलक फिल्म की कहानी एक अकेले पिता से शुरू होती है, जो अपने परिवार की देखभाल के लिए एक अत्याधुनिक घरेलू AI रोबोट—एलिस—को खरीदता है। शुरुआत में एलिस एक दयालु, सहायक और परिवार के लिए आदर्श साथी साबित होती है। वह परिवार के हर सदस्य के साथ जुड़ने की कोशिश करती है, उनकी जरूरतों का ख्याल रखती है और जीवन को आसान बनाती है। यह अविश्वसनीय लगता है कि यहाँ मनुष्य और एलिस में केवल फिजिकल एक्शन में अंतर मालूम पड़ता है। यह आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के तीसरे स्टेज ASI अर्थात् आर्टिफीसियल सुपर इंटेलिजेंस के विकास से संभव माना भी गया है। लेकिन मुझे अब भी संदेह है। धीरे-धीरे इस रोबोट का दूसरा चेहरा सामने आने लगता है। एलिस अपनी स्वायत्त सोच और भावनात्...

पुष्पा फिल्म;आर्थिक असमानता,अपराध और आइना : समीक्षा

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 पुष्पा, आर्थिक असमान भारत और अपराध: फिल्म समीक्षा 1970/80 के दशक में अमिताभ बच्चन सुपर स्टार बना उसके पीछे की वजह गरीब और आर्थिक बदहाल भारत के गुस्से की अभिव्यक्ति अमिताभ की फिल्मों में एंग्री यंग मैन के रूप में होना भी एक वजह थी। युवाओं ने अपने सीने पर "मर्द" लिखवाना फैशन बना लिया था, गोया घोर गरीबी, शोषण और अन्याय से पीड़ित इंसान अपने आपको दिलासा देता और अपने दर्द को "मर्द के कभी दर्द नही होता" डायलॉग में छुपाता। उस समय सरकारी और गैर सरकारी मिलों में कामगार अकसर हड़ताल करते और गरीब इंसान दो वक्त की रोटी के जुगाड के साथ ही अमिताभ की फिल्मों की बातें करता था। वो फिल्में युवाओं को स्वप्न दिखाती और युवा पैसा, सम्मान और प्यार के दिवस्वप्नी नशे की भूल भुलैया में जवानी गुजार रहा था। तब भारत कठिन दौर से गुजर रहा था, पाकिस्तान और चीन से युद्ध, खाद्यान्न संकट, बढ़ती जनसंख्या, आंदोलन इत्यादि। इसी गुस्से ने सशक्त सत्ताधीश इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल कर दिया। आज 2021/22 में दुनिया की आर्थिक मंदी,भारत में नोट बंदी, कोविड आपदा के बाद सांप्रदायिक तनाव और आर्थिक  ब...

Loopers: हॉलीवुड फिल्म समीक्षा (फिल्मों के आईने में भविष्य का समाज)

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Loopers,future society,human emotions and crime and criminals मानव मस्तिष्क की क्षमताओं से खुद मानव अपरिचित है। अपनी क्षमता का बमुश्किल 3/4% ही प्रयोग में लेने वाला मनुष्य अपनी शारीरिक क्षमताओं से भी अपरिचित है।  अनेकों व्यक्ति खेलों में अद्वितीय प्रदर्शन करते हैं तो बस वो खुद को पहचानते है। दुनिया का बड़ा हिस्सा बिना खुद के वजूद की पहचान के कीड़े मकोड़ों की तरह मृत्यु के आगोस में चले जाते हैं।  ग्रामीण भारतीय महिलाएं घूंघट में भी बनी तस्वीर में खुद को पहचान कर खुश हो लेती हैं यह बड़ा दर्दनाक है और समाज की संवेदनहीन परंपरा।इंसान अपनी पहचान के लिए हमेशा ही लड़ता आया है लेकिन महिलाएं सिर्फ पुरुषों के अस्तित्व के लिए लड़ती आई हैं मानो उनका कोई देश और आत्मा नही होती हो। खैर बात आती है मानव क्षमताओं और खुद के पहचान की..... अनेकों वैज्ञानिक, शतरंज के खिलाड़ी और सॉफ्टवेयर इंजीनियर अपनी दिमागी क्षमताओं की माइनिंग करते करते अचानक से कुछ ऐसा खोज लेते हैं जो उन्हें असाधारण बना देता है। अपने भविष्य के बारे में हर कोई सोचता है, वैज्ञानिक भी सोचता है। बहुत से ऐसे हैं जिन्हें सोन...