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कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !

देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...

शिवाजी के सेनापति वीर प्रताप राव गुर्जर उर्फ कतौजी गुर्जर

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प्रतापराव गुर्जर शिवाजी महाराज के प्रमुख सेनापति 16-1-1666 से 24-2-1674    बलिदान दिवस 24 फरवरी वीर प्रताप राव गुर्जर मराठा सेना के महान सेनापतियों में गिने जाते हैं, जिन्होने अपने पराक्रम व सूझबूझ से वीर शिवाजी महाराज के राज्य को हिन्दवी साम्राज्य में बदलने में जी जान लगा दी व शौर्य की एक अदभुत मिशाल की। प्रताप राव गुर्जर शिवाजी महाराज छत्रपति उन्होने मुगलो की सेना को कई बार हराया व जय सिहँ व बहलोल खान को अपनी वीरता से भागने पर मजबूर किया। प्रताप राव गुर्जर शिवाजी भौंसले के प्रमुख सेनापति थे। शिवाजी की सेना का मुख्य भाग अश्वसेना थी। अश्वसेना का भी प्रतापराव सरे नौबत का अर्थात सेनापति थे। अश्व सेना, पैदल सेना, हाथी तथा नौसेना चारों सेनाओं का जनरल अथवा मुख्य सेनापति रहने का श्रेय प्रताप राव गुर्जर को मिला था। प्रताप राव का वास्तविक नाम कड़पतो गुर्जर था और प्रताप राव की उपाधि से शिवाजी ने उसे विभूषित किया था। इतिहास में वह प्रतापराव गुर्जर नाम से ही प्रसिद्ध है। शिवाजी ने कतौजी गुर्जर की बहादुर और दिलेरी आदि की जांच करके ही महाराणा प्रताप की याद में प्रतापराव की उपाधि...

व्यक्तित्व निर्माण में परिवार,स्कूल और समाज

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  व्यक्तित्व के विकास में परिवार और स्कूल महत्वपूर्ण होते हैं। कई बार आप सोचते होंगे कि "मुझे गलत समझा जा रहा है" और आप चाह कर भी सही सिद्ध नहीं हो पाते। यह भी होता है कि कोई प्रभावशाली व्यक्ति आपके बारे में परसेप्शन बना डालता है और आप कुछ नहीं कर पाते। आपका एक बुरा निक नाम रख देगा या आपके बारे में दूसरे का माइंड सेट कर देगा।   आत्म विश्वास को स्वभाव बनाएं। किसी किसी बच्चे के साथ बहुत बुरा होता है। उसको मजाक का पात्र बना दिया जाता है। उसको बार बार गलत  और हमेशा  गलत साबित किया जाता है। कई बार पैरेंट्स ही अपने ही बच्चे के व्यक्तित्व के हत्यारे हो जाते हैं। कई जगह बड़े भाई और कई जगह स्कूल शिक्षक और साथी। उनको पता ही नहीं होता कि उन्होंने एक पौधे की जड़ों में जहर उड़ेल दिया। हत्यारे हां जी.... व्यक्तित्व के हत्यारे बहुत ज्यादा खतरनाक होते हैं। आप भी हो सकते हो अपने बच्चे या पड़ोसी या किसी सहकर्मी के या फिर किसी मित्र मंडली के सबसे कमजोर व्यक्ति के!! सोचना आपने किसी को कितना और कब कब टारगेट कर चोट पहुंचाई है! किसी बच्चे के बुद्धिमान हो...

महात्मा गांधी की वर्तमान में प्रासंगिकता

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महात्मा गांधी और वर्तमान में प्रासंगिकता महात्मा गांधी को एक व्यक्ति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। महात्मा गांधी को भारतीय संस्कृति और इसके अध्यात्म, धर्म राजनीति, समाज और हर एक व्यक्ति को समग्रता में समेटे हुए एक आदर्श प्रतिदर्श के रूप में देखा जाना चाहिए। सवाल यह है कि महात्मा गांधी को किस रूप में याद किया जाता है और क्यों नहीं समझ पा रहे हैं? दरअसल महात्मा गांधी को एक व्यक्ति के रूप में  और अहिंसा और सत्य के प्रति निष्ठा रखने वाले व्यक्ति के तौर पर पढ़ाया गया। उस सत्यता और अहिंसा में जो चीज वर्तमान में आम आदमी समझता है वह निहायत ही एक तरफा और एक पक्षीय है। महात्मा गांधी के बहुत सारे ऐसे सिद्धांत हैं जो कभी भी एक पक्षीय नहीं रहे हैं, उनको समग्रता में देखा जाना चाहिए। मेरी दृष्टि में वर्तमान में युवाओं को महात्मा गांधी को अवश्य पढ़ना और समझना चाहिए । मैं पढ़ने से ज्यादा समझने पर बल दे रहा हूं। मैं यह कहूंगा कि पूरी दुनिया की विभिन्न समस्याओं का समाधान का अगर एक दर्पण है तो वह महात्मा गांधी के दर्शन के रूप में है । हालांकि महात्मा गांधी के दर्शन को अतिवादी दर्शन कहा ...

झोपड़ी से अमेरिका तक का सफर: जुनून और हौसले की कहानी डॉ राम कैलाश गुर्जर

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यह कोई फिल्मी स्टोरी नहीं बल्कि यह एक हकीकत की कहानी है।  एक व्यक्ति की जिसकी यात्रा एक गांव से शुरू होकर इटली के रास्ते अमेरिका तक पहुंची। इस अद्भुत कहानी को अपनी मेहनत और जुनून से साकार रूप दिया डॉक्टर रामकैलश गुर्जर ने।   बचपन और परिवार :   एक छोटे से गांव नारायण पुरा जिला बूंदी के गरीब किसान परिवार में जन्मे और पले बढ़े डा रामकैलाश के माता-पिता अनपढ़ हैं, उनके पिता सुवालाल गुर्जर के पास ले दे कर बमुश्किल 4 बीघा का खेत और 2 भैंस थी। उनके पिता अपने गांव में भगवान देवनारायण के पुजारी रहे हैं, अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब डॉ रामकैलाश के बड़े भाई गांव के भगवान देवनारायण मंदिर के पुजारी हैं। उनका परिवार एक कच्चे घर (छपरी/झोपड़ी) में रहता था जिसमें बिजली तक नहीं थी। उन्होंने गांव से स्कूली शिक्षा पूरी की। रात को चिमनी की रोशनी में पढ़ाई करता और दिन में स्कूल के बाद या तो घरेलू काम में मदद करता या फिर पशु चराने जाता और साथ में पुस्तक ले जाता। प्रारंभ से ही पढ़ने में होशियार रहे कैलाश कक्षा 4 से 12 तक लगातार प्रथम स्थान प्राप्त करता रहा साथ में स्कूल ...

विश्व की 29 वीं टॉप हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी एंथम इंक की डायरेक्टर बनी सरिता गुर्जर

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"फॉर्च्यून पत्रिका के अनुसार विश्व की टॉप 50 में 29 वे स्थान पर है एंथम इंक जो कि एक हेल्थ इंश्योरेंस प्रोवाइडर कंपनी है।" "कौन कहता है जमीन पर खड़े हो कर आसमान को छुआ नहीं जा सकता" "एक उड़ान की कोशिश तबियत से तो करो!" इस कथन को साबित किया है कोटपुतली क्षेत्र के एक गांव जैनपुर बास की बेटी सरिता गुर्जर ने। गुर्जर समुदाय शिक्षा की दृष्टि से काफी पिछड़ा है और अनेक रूढ़ियों से ग्रसित है। ऐसे में यह उपलब्धि समाज और देश की बेटियो के लिए बहुत बड़ी प्रेरणादायक है। सरिता ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज जोधपुर से की थी और केमिकल इंजीनियरिंग में गोल्डमेडलिस्ट रही है।  कंपनी की प्रोफाइल भी बहुत जबरदस्त है। सरिता जिस कंपनी में डायरेक्टर बनी है वो यूएसए की बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी है जिसके 40 मिलियन सदस्य है और वार्षिक राजस्व 121 बिलियन अमेरिकन डॉलर है। यह कम्पनी फॉर्च्यून पत्रिका की टॉप 50 में 29 वा स्थान प्राप्त किए हुए है। यह गुर्जर समुदाय और देश के लिए गर्व की बात है। जब भी सरिता रावत का अमेरिका से आना होता है, क्षेत्र की बालिकाओं को ...

राजेश पायलट : उत्कर्ष और पहचान की अमर गाथा

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  राजेश पायलट: भारत का अब्राहम लिंकन @gurjarjruniversal ✍️ "जब तक गरीबों, किसानों, मजदूरों के बच्चे पढ़ लिख कर उन पदो पर नहीं पहुंच जाते जहां से नीतियां बनाई और क्रियान्विति होती है तब तक सही मायने में भारत का विकास नहीं होगा।"-  राजेश पायलट साधारण सी दिखने वाली इन पंक्तियों में गांधी, अम्बेडकर, नेहरू, सरदार पटेल, सर छोटूराम, चरण सिंह और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब्राहम लिंकन, नेल्सन मंडेला,मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं का सपना समाया हुए है। कार्ल मार्क्स की क्रांति ,लेनिन का जज्बा ,बुद्ध की शांति और लियो टॉल्स्टॉय का दर्शन निहित है। आप पढ़िए इन पंक्तियों में उनका जीवन परिचय मिलेगा और उनका मकसद मिलेगा।  आप पढ़िए राजेश पायलट मिलेगा। आप राजेश पायलट के व्यक्तित्व और कृतित्व में अपने आप को खोजे बिना नहीं रहेंगे। "राम राम सा" अभिवादन "जय हिन्द" का विकल्प भाषण समाप्ति का पर्याय बन गया। धैर्य और सहज मुस्कान राजेश पायलट को स्वाभाविक रूप से मिला वरदान था। उस समय के समकालीन अनेक छोटे बड़े नेता मुस्कुराती तस्वीर के साथ दीवारों पर नजर आने लगे ,एक तरह से स्टेटस सि...

आधुनिक राजनीति का हीरो : सचिन पायलट

 स्वतंत्र भारत में वर्तमान शासन आपातकाल के शासन के बाद सबसे अधिक विवादास्पद ध्रुवीय राजनीति और यथास्थिति पर जोर देने वाला शासन बना हुआ है, जिसके समय अर्थव्यवस्था  गर्त में जा रही है। लोग आपस में सोशल मीडिया पर खुले आम गाली गलोच करते है और असहमति को बर्दास्त से बाहर मानने लगे है। सचिन पायलट आज एक ऐसे नेतृत्व और चेहरे की भारत को आवश्यकता है जो सर्व स्वीकार्य हो । ऐसा जो नेहरू और पटेल का समन्वय हो तथा जिसमें भगतसिंह और सुभाष चन्द्र बोस जैसा दृढ़ और समर्पण भाव रखता हो और भारतीय राजनीति को व्यक्तिगत और समुदाय विशेष के एजेंडे के इतर प्रगतिशील एजेंडे को प्राथमिकता देता हो।  अशांत और जीर्ण शीर्ण भारत को नई दिशा प्रदान कर दक्षिण एशिया की बिखरती राजनीति को  दृढ़ता प्रदान कर सके । ऐसा एक चेहरा है सचिन पायलट। सवाल है आखिर पायलट में क्या खासियत हैं?  इसके जवाब में सचिन पायलट के  व्यक्तिगत जीवन और व्यक्तित्व दोनों को समझना चाहिए। क्या सचिन पायलट बन सकते है फिर से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष १* आधुनिक नेतृत्व का गुण :- सचिन पायलट समकालीन भारत में उच्च स्तर की राजनीति में सबसे...