कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !

देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...

क्या है पिरामिडों का रहस्य ?

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गीज़ा का महान पिरामिड: गणित, रहस्य और विज्ञान का अद्भुत संगम

Great Pyramid of Giza: Golden Ratio, Pi and Speed of Light mystery
चित्र: गीज़ा का महान पिरामिड — π (पाई), φ (गोल्डन रेशियो) और पिरामिड के अक्षांश (29.9792458°N) का अद्भुत संबंध, जो प्रकाश की गति (299,792,458 m/s) से मेल खाता है।
स्रोत: jrgurjar.in इन्फोग्राफिक

सार: गीज़ा का महान पिरामिड सिर्फ एक वास्तुशिल्प आश्चर्य नहीं है, बल्कि इसमें छुपे गणितीय रहस्य शोधकर्ताओं और रहस्यप्रेमियों को आज तक चौंकाते हैं। पिरामिड का परिमाप और ऊँचाई का अनुपात लगभग के बराबर है, इसकी आंतरिक संरचना में गोल्डन रेशियो (φ) दिखाई देता है, और इसका अक्षांश (29.9792458°N) प्रकाश की गति (299,792,458 m/s) के अंकों से चौंकाने वाली समानता रखता है।

पिरामिड और गणितीय रहस्य

  • महान पिरामिड का आधार और ऊँचाई का अनुपात लगभग π (3.1416) दर्शाता है।
  • इसकी ढलान या कोण में गोल्डन रेशियो (1.618) झलकता है, जिसे सौंदर्य और संतुलन का शाश्वत सूत्र माना जाता है।
  • पिरामिड का अक्षांश (29.9792458°N) प्रकाश की गति (299,792,458 m/s) से मेल खाता है — क्या यह संयोग है या प्राचीन मिस्रवासियों की अद्भुत खगोल-गणितीय समझ?

क्या प्राचीन मिस्रवासी विज्ञान जानते थे?

इतिहासकारों और वैज्ञानिकों में इस बात पर लगातार बहस होती रही है कि क्या यह सब सिर्फ संयोग है या वास्तव में प्राचीन सभ्यताएँ आधुनिक विज्ञान की गहराइयों को समझती थीं। कुछ शोधों के अनुसार, पिरामिड की संरचना केवल समाधि नहीं, बल्कि खगोलीय वेधशाला और ऊर्जा केंद्र भी रही हो सकती है। मिस्र की पौराणिक कथाओं में इसे "धरती और आकाश को जोड़ने वाला सेतु" कहा गया है।

अन्य रोचक रहस्य

  • पिरामिड की चारों दिशाएँ लगभग पूर्ण उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम के साथ संरेखित हैं, जो उस समय की तकनीक को देखते हुए असंभव सा लगता है।
  • कई शोध बताते हैं कि पिरामिड की आंतरिक गैलरियाँ तारों की स्थिति के साथ मेल खाती हैं, खासकर ओरायन बेल्ट के साथ।
  • कुछ रहस्यविद मानते हैं कि इसमें ऐसी ऊर्जा तरंगें होती हैं जो भोजन को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकती हैं।

निष्कर्ष

गीज़ा का महान पिरामिड केवल एक वास्तुकला का चमत्कार नहीं, बल्कि गणित, खगोल और विज्ञान का संगम भी है। इसकी संरचना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि शायद प्राचीन सभ्यताएँ हमारी कल्पना से कहीं अधिक उन्नत थीं। यह पिरामिड आज भी मानव बुद्धिमत्ता, रहस्य और जिज्ञासा का प्रतीक है।

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