कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !

देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...

टाइटैनिक जहाज़ के अनकहे किससे और अनसुनी कहानियाँ

टाइटैनिक की अनसुनी कहानियाँ

टाइटैनिक की अनसुनी कहानियाँ

टाइटैनिक जहाज़ की तस्वीर

14 अप्रैल 1912 की रात, जब टाइटैनिक जहाज़ अटलांटिक की ठंडी लहरों में डूब रहा था, तब वहाँ केवल धातु और मशीन नहीं बल्कि इंसानी जज़्बात भी डूब रहे थे। यह हादसा सिर्फ़ तकनीकी असफलता नहीं था, बल्कि मानवीय रिश्तों, फैसलों और स्वभाव का आईना था। अगर आपको ऐसी ही मानवीय कहानियों में रुचि है, तो आप इस लेख को भी पढ़ सकते हैं जो भविष्य और समाज पर गहरे प्रश्न उठाता है।

लेडी लूसी डफ़ गॉर्डन की विवादित नाव

इंग्लैंड की मशहूर फ़ैशन डिज़ाइनर लेडी लूसी डफ़ गॉर्डन और उनके पति सर कॉस्मो डफ़ गॉर्डन लाइफ़बोट नंबर 1 में सवार हुए। 40 लोगों की जगह होने के बावजूद इसमें सिर्फ़ 12 यात्री बैठे। बाद में आरोप लगे कि उन्होंने क्रू को पैसे देकर नाव खाली रखवाई। जाँच में दोषी न पाए जाने के बावजूद, उनकी छवि हमेशा एक स्वार्थी अमीर यात्री के रूप में याद की गई।

मैरी एलोइस ह्यूजेस स्मिथ का अंतिम इम्तिहान

अमेरिकी महिला मैरी स्मिथ के पति लूसियन ने उन्हें लाइफ़बोट नंबर 6 में ज़बरदस्ती बैठाया और कहा— “तुम्हें जाना होगा, बच्चे को तुम्हारी ज़रूरत है।” वे पीछे रह गए और समुद्र में समा गए। मैरी की आँखों में वह आख़िरी दृश्य हमेशा ज़िंदा रहा।

इसिडोर और आइडा स्ट्रॉस का अमर प्रेम

मैसीज स्टोर के मालिक इसिडोर स्ट्रॉस और उनकी पत्नी आइडा ने यह दिखा दिया कि प्रेम सिर्फ़ जीवन तक का नहीं, बल्कि मृत्यु तक भी साथ निभा सकता है। जब आइडा को लाइफ़बोट दी गई तो उन्होंने कहा— “मैं अकेली नहीं जाऊँगी।” और दोनों हाथ थामे समुद्र में समा गए। यह कथा हमें आकाशगंगा और समय यात्रा की तरह अनंत और अद्भुत लगती है।

चार्ल्स जगहेयर की बहादुरी

चौकीदार चार्ल्स जगहेयर ने अंत तक औरतों-बच्चों को लाइफ़बोट में बैठाया। जहाज़ डूबने पर भी वे तैरते रहे और चमत्कारिक ढंग से बच निकले। उन्होंने लिखा— “मौत आंखों में थी, पर हिम्मत ने मुझे ज़िंदा रखा।”

इंसानों का असली चेहरा

टाइटैनिक की दास्तान ने हमें दिखाया कि— कहीं लालच और स्वार्थ था, कहीं त्याग और प्रेम, कहीं बहादुरी और कहीं लाचारी। यही मिश्रण इंसानियत की असली तस्वीर है। जीवन की मुश्किल घड़ियों पर गहराई से सोचने के लिए आप यह लेख भी पढ़ सकते हैं।

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