कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !

देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...

डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति और निजी हित | अमेरिका फर्स्ट से वैश्विक राजनीति तक

डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति और निजी हित

डोनाल्ड ट्रम्प की विदेश नीति और निजी हित

डोनाल्ड ट्रम्प की छटपटाहट या सनकीपन!

बड़ी अजीब हरकतें बड़े-बड़े राष्ट्र प्रमुख करने लगे हैं गत कुछ वर्षों से। गालीबाजी, तुनकमिज़ाजी, फोटोग्राफी और शो-ऑफ, पब्लिक मीटिंग को शो के रूप में आयोजित करना। जनहित के बजाय जनता को राष्ट्र और धर्म के चश्मे पहनाना। गरीब लोगों को सुविधा देने से इनकार करना और उनको मुफ्तखोर बोलकर उनकी खिल्ली उड़ाना।

जनमत के लिए ख़ुद के हितों के बजाय काल्पनिक और दूर के हित और सपने दिखाना। जो जनहित के सवाल उठाए उनको दरकिनार करना। राजनीति में छिछोरापन और मीडिया का दुरुपयोग बढ़ना। संस्थाओं को कमजोर करना, बदनाम करना और फिर अपने अनुसार ढालना। यह सब हम डोनाल्ड ट्रम्प की नीति में भी देखते हैं।

विदेश नीति और निजी हित

ट्रम्प की विदेश नीति और निजी हितों को समझने के लिए हमें दो पहलुओं पर ध्यान देना होता है—

  1. विदेश नीति की दिशा
  2. उस नीति में उनके व्यावसायिक एवं राजनीतिक हितों की झलक।

1. विदेश नीति की प्रमुख विशेषताएँ

  • 👉 “अमेरिका फर्स्ट” – वैश्विक समझौतों से हटकर अमेरिका को प्राथमिकता देना।
  • 👉 व्यापार नीति और संरक्षणवाद – चीन और यूरोप पर भारी टैरिफ।
  • 👉 पेरिस जलवायु समझौते और ईरान परमाणु समझौते से बाहर।
  • 👉 कठोर आप्रवासन नीति और मेक्सिको सीमा पर दीवार।
  • 👉 नाटो देशों पर दबाव – सुरक्षा खर्च बढ़ाने की मांग।
  • 👉 चीन के साथ व्यापार युद्ध और रूस पर नरम रुख।
  • 👉 इज़राइल को समर्थन और अब्राहम समझौते।

2. निजी हितों का प्रभाव

  • 👉 दुनियाभर में होटल और रियल एस्टेट कारोबार – नीतियों पर असर।
  • 👉 सऊदी अरब से नजदीकी संबंध – व्यावसायिक लाभ।
  • 👉 घरेलू राजनीति में लोकप्रियता के लिए सीधा संदेश।
  • 👉 दामाद जैरेड कुशनर की विदेश नीति में बड़ी भूमिका।

3. आलोचना और बहस

समर्थक: अमेरिकी उद्योगों और हितों को प्राथमिकता दी।

आलोचक: नीति अस्थिर और निजी हितों से प्रेरित।

ट्रम्प बनाम अन्य अमेरिकी राष्ट्रपति

1. विदेश नीति की दृष्टि

  • ओबामा: बहुपक्षवाद और सहयोग।
  • ट्रम्प: “अमेरिका फर्स्ट”, एकतरफा नीति।
  • बाइडेन: सहयोगी देशों के साथ जुड़ाव।

2. अंतरराष्ट्रीय समझौते

  • ओबामा: पेरिस जलवायु और ईरान समझौते।
  • ट्रम्प: दोनों से बाहर।
  • बाइडेन: दोनों में वापसी।

3. व्यापार नीति

  • ओबामा: मुक्त व्यापार का समर्थन।
  • ट्रम्प: संरक्षणवाद और टैरिफ।
  • बाइडेन: चीन पर कठोरता जारी।

4. सहयोगी और प्रतिद्वंदी देश

  • ओबामा: यूरोप और एशिया को मज़बूत किया।
  • ट्रम्प: नाटो पर दबाव और रूस पर नरम रुख।
  • बाइडेन: रूस-यूक्रेन युद्ध में नाटो नेतृत्व।

5. मध्य-पूर्व नीति

  • ओबामा: ईरान समझौता और सैनिक वापसी।
  • ट्रम्प: जेरूसलम को इज़राइल की राजधानी मानना और अब्राहम समझौते।
  • बाइडेन: संतुलन बनाने का प्रयास।

6. निजी बनाम राष्ट्रीय हित

  • ओबामा: संस्थागत और वैचारिक नीति।
  • ट्रम्प: व्यक्तिगत और पारिवारिक हितों का असर।
  • बाइडेन: पारंपरिक अमेरिकी विदेश नीति की ओर वापसी।

निष्कर्ष

कुल मिलाकर, ट्रम्प की विदेश नीति “राष्ट्रीय हितों” और “निजी हितों” के बीच झूलती रही।

  • ओबामा → वैश्विक सहयोग।
  • ट्रम्प → “अमेरिका फर्स्ट” और निजी हित।
  • बाइडेन → सहयोगियों के साथ फिर से जुड़ाव।

भारत और वैश्विक परिप्रेक्ष्य

भारत की विदेश नीति में अस्थिरता और अनिश्चितता देखी जा सकती है: चीन के साथ उलझनें, अमेरिका से जटिल संबंध, रूस को मजबूरी में साथी बनाना, फ़िलिस्तीन में संघर्ष और यूक्रेन का नाटो-रूस संघर्ष में फंसना। यह सब वैश्विक शक्ति, तेल, संसाधनों और व्यापार पर कब्जे की जद्दोजहद को दर्शाता है।

इस विषय पर विस्तार से जानने के लिए निम्न लेख पढ़ें:

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

अगर आपका बच्चा Arts Stream में है तो Sociology जरूर पढ़ाएँ

स्कूल व्याख्याता, असिस्टेंट प्रोफेसर और नेट जेआरएफ, AHDP या LSA के लिए महत्वपूर्ण पुस्तक सूची

जीवन में सफलता के लिए 8 बेस्ट टिप्स