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सितंबर, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !

देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...

War, Crime and Women | War crimes against women

JAGRAM GURJAR Assistant professor Sociology Govt college Asind Bhilwara In reference to the 9 most brutal events of the last 100 years  Cheapest labor, domestic servant without money, dedicated member responsible for the whole family and following many traditions, values, if a person lives life then it is a woman.  The one who was considered dead and non-existent along with the husband, whose feelings, decisions and personality were strictly guarded by the eyes of the society, how much benefit of modernity did he get and what changes should be discussed on this subject.  In the Middle Ages, Arab, Turk and Mongolian invaders brutally killed women, children and the elderly.  Later, young women were used to appease the girls and warriors. Even in any state or ruler like taliban used to as sex slave.  All the victorious kings looted women and girls in the form of money along with the property of the defeated.  Not much has changed since the last century and has...

युद्ध अपराध और महिलाएं

जगराम गुर्जर सहायक आचार्य समाजशास्त्र राजकीय महाविद्यालय आसींद भीलवाड़ा पिछले 100 वर्षो की 9 क्रूरतम घटनाओं के संदर्भ में महिलाओ के विरुद्ध युद्ध अपराध सबसे सस्ता श्रमिक, बिना पैसे का घरेलू नौकर , संपूर्ण परिवार के प्रति जिम्मेदार समर्पित सदस्य और अनेक परंपराओं, मूल्यों को उठाए अगर कोई इंसान जिंदगी जीता है तो वो एक महिला है। वो जिसे पति के साथ ही मृत प्राय और अस्तित्व विहीन समझा गया ,जिसकी भावनाओ, फैसलों और व्यक्तित्व पर समाज की आंखों का सख्त पहरा ताउम्र रहे उसको आधुनिकता का कितना लाभ मिला और क्या बदलाव आया इस विषय पर बात होनी चाहिए। मध्य काल में अरब, तुर्क और मंगोलियन आक्रांताओं ने एशियाई जमीन पर क्रूरता से महिलाओ ,बच्चो और बुजुर्गो का कत्ल किया। बाद में जवान औरतों को, बालिकाओं को योद्धाओं के खुश करने के काम में लिया गया। ऐसा लगभग हरेक शासक और आक्रांता करता आया है चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में शासक रहा हो। यौन हिंसा तमाम विजेता राजा ,पराजितो की संपत्ति के साथ महिलाओ और बालिकाओं को धन के रूप में लूटा। यहां तक कि युद्ध से विधवा हुई महिलाओ को जिंदा जलन   पड़ता या समाज द्वारा जला...

परीक्षा देने से पहले और परीक्षा के समय ध्यान देने योग्य बातें

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 ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें परीक्षा में ध्यान देने वाली मुख्य बातें 👉 चेक लिस्ट बनाए ताकि दूर परीक्षा सेंटर पर जाए तो कुछ भूलें नही। उसमे आपका आधार कार्ड ,एडमिट कार्ड, फोटो, दो पेन, ट्रेन या बस टिकट जिससे भी जाए अवश्य होने चाहिए।   👉 एग्जाम सेंटर में आप शांत रहें और दाए बाएं देखने के बजाए आप खुद पर फोकस करें और चार पांच लंबी सांसे ले कर रिलैक्स हो जाए।  👉 सिंपल और कंफर्टेबल कपड़े पहन कर जाए और ज्वेलरी वगैरा नही ले जाए ना ही घड़ी पहने। 👉 यह याद न करे कि आपको क्या याद है और क्या नहीं । आपकी मेहनत जो भी हुई है उतना  आपको अवश्य याद आएगा। 👉 पेपर को आराम से खोले और बीच में से हल करना शुरू करें। उसमे कुछ नही आए तो जबरदस्ती न करे क्योंकि शुरुआत और अंतिम भाग में सरल सवाल हो सकते है। 👉 आप पेपर और आंसर शीट पर जरूरी एंट्री ध्यान से करे और एक बार  गलती होने पर ओ एम आर पर व्हाइटनर का उपयोग बेमतलब होता है।  👉 जो सवाल सरल है और आपको आ रहा है उसको आप तत्काल ओ एम आर में भर दे ,अंतिम समय तक नही छोड़े । 👉 अगर आपको 50 सवाल से ज्यादा मुश्किल लग रहे है तो यकीन करो ...

India's Foreign Policy and Afganistan

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Indian foreign policy at crossroads India's foreign policy | India's external affairs Indian foreign policy  When the US left Afghanistan, India was in a state of disrepair.  The US took the decision in 2015 itself and since then China-Pakistan became increasingly active.  The result was that the US did not even vacate the airport that at the same time China almost hit the entry and announced investment in support of the Taliban.  On the other hand, the Prime Minister of Pakistan looked very excited and by boasting more than his due, he was seen showing his victory directly.  Here our policy makers started looking towards the Prime Minister who, due to complacency, has controlled almost most of them, including the Ministry of External Affairs.  (As it seems from the statements and foreign trips.) Apart from traveling abroad and stage shows, he could not do anything serious.  Politics and international relations from Afghanistan to Turkey and the Middle...

भारतीय विदेश नीति और अफगानिस्तान ,पाकिस्तान और चीन

चौराहे पर भारतीय विदेश नीति भारतीय विदेश नीति जब अमरीका ने अफगानिस्तान छोड़ा तब भारत किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में था। अमेरिका ने 2015 में ही निर्णय ले लिया था और तब से चीन-पाकिस्तान तेजी से सक्रिय हुए। इसका परिणाम यह हुआ कि अमेरिका ने एयरपोर्ट खाली भी नहीं किया था कि उसी समय चीन ने लगभग एंट्री मार ली और तालिबान के समर्थन में निवेश की घोषणा कर दी। उधर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अति उत्साहित नजर आए और अपनी औकात से ज्यादा शेखी बघार कर सीधे तौर पर अपनी विजय दर्शाते नजर आए। इधर हमारे नीति निर्माता प्रधानमंत्री की ओर देखने लगे जिन्होंने आत्ममुग्धता के चलते विदेश मंत्रालय सहित लगभग अधिकांश पर स्वयं नियंत्रण कर रखा है। (जैसा कि बयानों और विदेश यात्राओं से प्रतीत हो रहा है।) सिवाय विदेश यात्रा और स्टेज शो के अलावा कुछ भी गंभीर होकर नहीं कर पाए। अफगानिस्तान से लेकर तुर्की और मध्य पूर्व में राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंध धर्म आधारित है। इसको अधिक अच्छे तरीके से लिखा जा सकता है कि जनता के मूड के आधार पर होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सत्ता का केंद्रीकरण होता है और उत्तरदायित्व सीमित लोगो के लिए ह...

Duplicity ,Crime, Ethics and Idealistic World

J R Gurjar Assistant Professor Sociology Government College Asind Bhilwara, Rajasthan   *Ethics is not everywhere.*  I didn't say "there is no morality."  Recently saw a movie "Koi Jaane Na".  In this, a girl suffering from schizophrenia suffers from psychosis and she murders her father in childhood and later runs away from a hospital and behaves normally.  He remembers things of his meaning and can make up stories naturally.  She murders her lover from a bad lover to one who makes fun of him.  His father's behavior in his childhood had turned it into a psychiatric disorder.  Large population lives through poverty, deprivation, struggle, deceit, deception and they keep fighting till death.  Millions of children live in scary and low conditions, although they do not know why their parents were happy on their birth?  ?  We face this in some form or the other and keep moving forward.  Ask yourself questions and give your own answe...

दोहरा चरित्र, मूल व्यवहार और अपराध तथा आदर्श

*नैतिकता सभी जगह नही है।* मैने यह नही लिखा है "नैतिकता कहीं नहीं है।" हाल ही में एक फिल्म देखी "कोई जाने ना" । इसमें एक लड़की सीजोफ्रेनिया मनोरोग से ग्रसित होती है और वो बचपन में अपने पिता की हत्या कर देती है और बाद में एक अस्पताल से भाग कर सामान्य व्यवहार करती है। उसको अपने मतलब की चीजे याद रहती है और मनगढ़ंत कहानी स्वाभाविक रूप से बना सकती है। वो अपने प्रेमी का बुरा चाहने वाले से लेकर उसका मजाक उड़ाने वाले तक का मर्डर कर देती है। उसके बचपन में पिता के व्यवहार से यह मनोरोग हो गया था। बड़ी जनसंख्या गरीबी, अभावों, संघर्ष, छल, धोखे से गुजरती हुई जिंदगी जीते है और मौत तक वो जूझते रहते है। करोड़ों बच्चे डरावनी और निम्न स्थितियों में जीवन यापन करते है हालांकि इनको नही मालुम कि क्यों उनके जन्म पर उसके माता पिता खुश थे?  हम कभी न कभी ,किसी भी रूप में ऐसा ही सामना करते है और आगे बढ़ते रहते है। खुद से सवाल करते है और जवाब भी खुद ही देते है। हम अनेक दोहरी मानसिकता से गुजरते है और दोहरे व्यवहार का शिकार भी होते है। आज अखबार की मुख्य खबर देखी जिसमे लिखा था "बामियान विध्वंश...