भारत दुनिया में सर्वाधिक जनसंख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है। शीघ्र ही प्रथम पायदान पर होगा। अगले दशक में हमारे देश में दुनिया में सबसे अधिक युवा होंगे। भारत एक बहुभाषी, बहु सांस्कृतिक, विकासशील राष्ट्र है जिसकी परिवर्तित ग्लोबल परिस्थितियों में नवीन आवश्यकताएं हैं। इस हेतु चिंतनशील, सृजनात्मक चिंतनशील नागरिक निर्माण हेतु एक्टिव सांस्कृतिक वातावरण निर्माण करना आवश्यक है।इसके लिए सार्वभौमिक और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा अनिवार्य है। सामाजिक न्याय, समानता, वैज्ञानिक विकास ,राष्ट्रीय एकीकरण, सांस्कृतिक संरक्षण, सतत प्रगतिशील और सहभागिता युक्त शैक्षणिक वातावरण निर्माण के लिए हमें एक ऐसा शैक्षणिक ढांचा खड़ा करना होगा जिससे युवा शिक्षित ,प्रशिक्षित और नवाचारी हो । इसके लिए यह आवश्यक है कि समावेशी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित की जाए। भारत को सक्षम और आत्मनिर्भर तथा समर्थ बनाने हेतु नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट आवश्यक हो गया था। विश्व में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। बिग डाटा, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में हो रहे बहुत से वैज्ञानिक और तकनीकी विकास के चलते एक तरफ विश्व भर में अकुशल कामगारों की जगह मशीनें काम करने लगेगी तो दूसरी तरफ डाटा साइंस, कंप्यूटर साइंस, गणित, समाज विज्ञान और मानविकी में विशेष योग्यता रखने वाले प्रशिक्षित ऊर्जावान युवाओं की आवश्यकता होगी। महामारी और संक्रामक रोग प्रबंधन के लिए रिसर्च, रिसर्च सेंटर तथा विभिन्न सामाजिक समस्याओं के निवारण के लिए हमें समाज वैज्ञानिकों की आवश्यकता होगी। अतः उसी के अनुरूप शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए।
रोजगार और पर्यावरणीय परिस्थितियों में जो पूर्ण रूप से परिवर्तन हो रहा है और साथ ही नवा चारों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है । ऐसी स्थिति में ऐसे बच्चे तैयार करने होंगे जो सीखें लेकिन साथ में सीखने की कला भी सीखें और समस्या समाधान, तार्किक चिंतन तथा रचनात्मक तरीके से चीजों को देखना सीखे।
शिक्षा से चरित्र निर्माण होना तथा शिक्षार्थियों में नैतिकता तार्किकता करुणा और संवेदनशीलता विकसित करने की आवश्यकता है और साथ में रोजगार के लिए सक्षम बनाना भी आवश्यक है इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए नई शिक्षा नीति 2020 तैयार की गई है।
यह शिक्षा नीति देश की आवश्यकता को पूरा करने के साथ-साथ व्यक्तिगत पारिवारिक सामाजिक _ सांस्कृतिक और हमारे विभिन्न राजनीतिक आर्थिक समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए तैयार की गई है। जो भारत की परंपराओं सांस्कृतिक मूल्यों के आधार से जुड़ी हुई होगी । इसमें प्राचीन और सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आरोप में ज्ञान प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय वैचारिक परंपरा और दर्शन में जो स्थान दिया गया था उस को बरकरार रखने का प्रयास किया गया है। हमारे प्राचीन विश्वविद्यालय जैसे तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, वल्लभी जैसे विश्व स्तरीय संस्थान तैयार करने हैं और शोध के ऊंचे प्रतिमान तैयार करने हैं। ताकि इनसे चरक, सुश्रुत, आर्यभट्ट, वराह मिहिर ,भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त, चाणक्य, चक्रपाणि दत्ता ,माधव, पाणिनी, पतंजलि, नागार्जुन, पिंगला, मैत्री , कपाला जैसे विद्वान व विदुषी तैयार हो।
इन सब बातो को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालीन सोच और उद्द्येश्यो के लिए नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट बनाने की आवश्यकता महसूस हुई।
के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा प्रस्तुत नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत नीति को चार भागों में विभाजित किया गया है।
1* स्कूली शिक्षा
2* उच्च शिक्षा
3* अन्य शैक्षणिक गतिविधि
4* क्रियान्वयन
नई शिक्षा नीति 2020 के मुख्य बिंदु:
1* मानव संसाधन मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय किया गया है।
2* स्कूली शिक्षा को 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 में नया स्वरूप प्रदान किया गया है।
3* 3 साल की उम्र के बच्चो को फाउंडेशन स्टेज में 5 साल रखा जाएगा जिसमे प्रथम 3 साल प्ले स्टेज और अंतिम 2 साल खेल खेल में पढ़ाई से जोड़ना शामिल है। इसमें कोई परीक्षा नही होगी।
4* दूसरी स्टेज में 3 साल की पढ़ाई प्रिपेरेटरी होगी जिसमे कक्षा 3,4,5 की पढ़ाई होगी इसमें क्षेत्रीय भाषा ने अध्ययन अध्यापन किया जाएगा।
5* बाद के 3 साल कक्षा 6,7,8 में कंप्यूटर और वोकेशनल कोर्स प्रारंभ होगा। इस स्टेज में इन क्षेत्रों से परिचित करवाया जाएगा।
6* स्कूली शिक्षा के अंतिम 4 साल में कक्षा 9,10,11,12 में सेमेस्टर प्रणाली प्रारंभ होगी। इसमें साल में दो बार परीक्षा होगी और संकाय व्यवस्था समाप्त होगी।
उच्च शिक्षा में किए परिवर्तन निम्नवत होंगे :
1* मल्टीपल एंट्री, एग्जिट व्यवस्था लागू होगी। स्नातक 3 या 4 साल की होगी जिसमे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा,इंटरमीडिएट सर्टिफिकेट और डिग्री मिल सकेगी जो कि कोर्स की पढ़ाई की अवधि के आधार पर दी जाएगी।
2* कोर्स ब्रेक मिल सकेगा और क्रेडिट ट्रांसफर आधार पर पढ़ाई जारी रख सकेगा।
3* वर्तमान के 26.3% ग्रोस एनरोलमेंट को बढ़ा कर 50% तक ले जाया जाएगा।
4* बहुविषयक संस्थान प्रारंभ होंगे जिनमें ह्यूमैनिटी और तकनीकी विषय में विभाजन नहीं होगा।
5* राष्ट्रीय शोध संस्थान की स्थापना की जाएगी।
6* महाविद्यालयों को स्वायत्त प्रदान की जाएगी। उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित होगा जिसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के मार्फत करवाया जाएगा।
7* विश्वस्तरीय संस्थानों के कैंपस भारत में खोले जाएंगे।
8* भारतीय भाषाओं को संरक्षण प्रदान करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन नामक संस्थान बनाया जाएगा।
9* शिक्षको के प्रशिक्षण और दक्षता संवर्धन पर जोर दिया जाएगा। विभिन्न संस्थानों का एकीकरण किया जाएगा।
अन्य प्रावधान :
1*ग्लोबल नागरिक निर्माण हेतु सभ्यता से जोड़ने पर फोकस होगा।
2* क्रिटिकल थिंकिंग हेतु "क्या सोचना है के स्थान पर "कैसे सोचना है।" पर बल दिया जाएगा।
3* ई लर्निंग पर फोकस और डिजिटल शिक्षा
4* निजी और सार्वजनिक शिक्षा संस्थानों में अंतर पाटा जाएगा।
5* आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी से आसान पढ़ाई का वातावरण निर्माण।
6* नया पाठ्यक्रम फ्रेम वर्क बनाया जाएगा जिसमे ई cce , स्कूल टीचर, एडल्ट एजुकेशन आजीवन करने का प्रावधान।
7* कला और संस्कृति के संवर्धन हेतु शिक्षा व्यवस्था।
क्रियान्वयन मार्गदर्शन बिंदु :
क्रियान्वयन सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए इसके लिए निम्न निर्देशक बिंदु शामिल किए गए है।
1* केब अर्थात केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड का सशक्तिकरण किया जाएगा। यह विभिन्न उत्तरदाई संस्थानों से समन्वय कर नीति नियमन, प्रबंधन और क्रियान्वयन के साथ विजन को विकसित करने का काम करेगा ।
मानव संसाधन मंत्रालय का नाम शिक्षा मंत्रालय किया जाएगा।
2* वित्त पोषण हेतु प्रावधान :
१* जीडीपी का 6% तक शिक्षा पर व्यय किया
जाना प्रस्तावित किया है।
२* शिक्षा में निवेश हेतु प्रोत्साहन दिया जाएगा।
३* शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण मदो और संघटको
के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
जैसे शिक्षा तक पहुंच, सीखने के संसाधन,
पोषण सहायता, सुरक्षा, पर्याप्त कर्मचारी,
शिक्षक विकास ,पिछड़े समूहों हेतु प्रयास
के लिए।
४* शिक्षा प्रणाली विकसित करने के लिए 6
महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान पर जोर दिया
गया है।
अ.गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल
शिक्षा का सार्वभौमिक प्रावधान।
ब. पढ़ने, लिखने और गणना करने की
बुनियादी क्षमता का विकास।
स. सभी स्कूल कंपलेक्स या क्लस्टर के लिए
पर्याप्त व उपयुक्त संसाधन प्रदान करना
द. भोजन व पोषण (जिसमें नाश्ता और मध्यान
भोजन होगा) उपलब्ध करवाना।
य. शिक्षक शिक्षा व शिक्षकों के सतत
व्यावसायिक विकास में निवेश।
र. उत्कृष्टता को पोषित करने के लिए
विश्वविद्यालयों में महाविद्यालय में सुधार।
और
ल. शोध का विकास व प्रौद्योगिकी तथा
ऑनलाइन शिक्षा का उपयोग।
3* प्रदर्शन आधारित वित्त पोषण का तंत्र तैयार करना तथा धन की पार्किंग से बचने के उपाय व सही समय पर आवंटन से संबंधित प्रावधान लागू किया जाएगा
4* शिक्षा क्षेत्र में निजी परोपकारी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने और प्रोत्साहित किया जाएगा।
5* क्रियान्वयन के लिए सरल किंतु कठोर नियमन का दृष्टिकोण शामिल किया जाएगा।
क्रियान्वयन मैकेनिज्म :
1* इस नीति के क्रियान्वयन को कई निकायों जिनमें एन एच आर डी, कैब, केंद्र व राज्य सरकारें, शिक्षा मंत्रालय, राज्यों के शिक्षा विभाग, बोर्ड्स ,एन टी ए, स्कूल व उच्चतर शिक्षा के नियामक निकाय, एनसीईआरटी, एससीईआरटी ,स्कूल व उचित प्रशिक्षण संस्थान शामिल हैं ।इनके द्वारा योजना को लेकर तालमेल व समन्वय किया जाएगा।
2* क्रियान्वयन के लिए मार्गदर्शी 7 सिद्धांतों की पहचान की गई है।
१* नीति की भावना व प्रयोजन
२* चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन
३* प्राथमिकता के आधार पर कार्य करना
४* व्यापकता
५* केंद्र व राज्य में समन्वय
६* मानव संरचना गत वित्तीय संसाधनों को जुटाना
और
७* विभिन्न उपायों के बीच परस्पर जुड़ाव का सार
व सावधानी पूर्वक विश्लेषण और समीक्षा कर
आगे बढ़ना।
3* संबंधित मंत्रालयों का समन्वय और परामर्श के द्वारा केंद्र और राज्य दोनो स्तरों पर विषय वार क्रियान्वयन विशेषज्ञ समितियों का गठन।
चुनौतियां :
1* सबसे बड़ी चुनौती शैक्षणिक ढांचा विकसित करने की है। इसके लिए अभी तक कोई फ्रेमवर्क सामने नही आया।
2* जीडीपी का 6% धन राशि आवंटन का प्रावधान पूर्व में किया जा चुका है पर धरातल पर उतारना और बजट में समन्वय करना चुनौती पूर्ण होगा जबकि पिछले वर्ष वर्तमान सरकार ने शिक्षा बजट में कटौती की है।
3* बजट का उपयोग करने की अन्य बड़ी चुनौती है। गत 4 वर्षो से 17% तक भी व्यय नही हो पाई।
4* शिक्षा प्रणाली केंद्रीकरण बड़ी चुनौती होगी इसके लिए विकेंद्रीकरण आवश्यक है। इसके अभाव में दक्षता पूर्वक क्रियान्वयन संभव नहीं होगा।
5* उच्च शिक्षण संस्थानों को स्वायत्त प्रदान करने में वित्त और प्रबंधन की समस्या हो सकती है।
6* शोध में जीडीपी का 0.7% ही व्यय किया जाता है जिसको आगे बढ़ाने के लिए कम से कम 5000 करोड़ रूपये प्रति वर्ष आवश्यक होंगे।
सुझाव :
1* शिक्षण संस्थानों को कम ब्याज दर पर
दीर्घकालीन ऋण उपलब्ध करवाया जाए।
2* क्रियान्वयन के लिए अलग से नियमन,
प्रबंधन और क्रियान्वयन एजेंसी का गठन
किया जाए जो तुलनात्मक समीक्षा द्वारा
राज्य और विभिन्न इकाइयों की रैंकिंग जारी
कर बजट प्रोत्साहन प्रदान करे।
3* डिजिटल ढांचा तैयारी हेतु पिछड़े क्षेत्रों को
मॉडल के रूप में पहले विकसित किया
जाए इसके लिए निजी संस्थानों से मदद ली
जाए और धन का भार सरकार द्वारा वहन
किया जाए।
स्मार्ट क्लासरूम नहीं स्मार्ट कैंपस बनाए
जाए।
4* शिक्षको को टेक्नो फ्रेंड बनाने हेतु अनिवार्य
डिजिटल प्रशिक्षण दिया जाए।
5* ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति
सहित अन्य आधारभूत ढांचा विकसित
किया जाए।
6* स्कूल वातावरण उन्मुक्त पर अनुशासित और मनोरंजनात्मक बनाया जाए।
7* शिक्षको की पोस्टिंग और वेतन संबंधी आवश्यकताओं के अलावा शासन प्रशासन में गरीमा पूर्ण व्यवहार का वातावरण निर्मित किया जाना आवश्यक है। इसके अलावा शिक्षण कार्य को लाभ कारी बनाया जाए।
Very nice article on NEP 👌👌
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंVery good article
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंअद्भुत, शानदारऔर विशिष्ट जानकारी बहुत ही सरल शब्दों में
जवाब देंहटाएंराष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में बहुत ज्ञानवर्धक और सारगर्भित लेख लिखा है । NEP 2020 को सरल और सारगर्भित ढंग से प्रस्तुत करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंThank you mewaram ji
हटाएंसटीक
जवाब देंहटाएंVry nice sir
जवाब देंहटाएंVery nice👍👍
जवाब देंहटाएंThank you
हटाएंबहुत ही सुंदर और सरल शब्दो का चयन बहुत ही अच्छी जानकारी 👍💐💐🙏
जवाब देंहटाएंNice information 👌 sir ji
जवाब देंहटाएं👌👌 nice
जवाब देंहटाएंThank you
जवाब देंहटाएंSundarta
जवाब देंहटाएंNice Also Read Bollywood Bright
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