कट्टर हिंदुत्व से कट्टर तालिबान तक संबंध !
देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? 🕌 देवबंद से तालिबान तक: वैचारिक समानता या राजनीतिक दूरी? भारत–तालिबान संबंध : वक्त की ज़रूरत हाल ही में अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्ताक़ी की भारत यात्रा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा बटोरी। यह यात्रा भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंधों को नए सिरे से देखने का अवसर प्रदान करती है। वर्षों तक दोनों के बीच संवाद सीमित रहा, पर अब भू–राजनीतिक परिस्थितियों ने दोनों को बातचीत की मेज़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। सवाल यह भी है कि — क्या तालिबान की वैचारिक जड़ें देवबंद से जुड़ी हैं, और क्या भारत को ऐसे समूह से संबंध बढ़ाने चाहिए? आइए इसे क्रमवार समझते हैं 👇 🕋 1. देवबंद और तालिबान का वैचारिक संबंध 🔸 ऐतिहासिक आधार दारुल उलूम देवबंद की स्थापना 1866 में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध धार्मिक और शैक्षणिक आंदोलन के रूप में हुई। इसका उद्देश्य था इस्लामी शिक्षा, नैतिकता और सामाजिक सुधार को पुनर्जीवित करना। 🔸 वैचारिक समानता, प्रत्यक्ष संबंध नहीं “तालिबान” शब्द का अर्थ है विद्यार्थी — उनके कई सदस...
यूथ आईकॉन सचिन पायलट
जवाब देंहटाएंजी सही कहा कसाना जी आपने मेने सचिन पायलट जी की स्पीच 2002 से सुनता आ रहा हू और 2008 में मेरे को किसी बड़ी पार्टी के लीडर ने कहा था। जिसकी उम्र लगभग 65 वर्ष थीं कि मैने ऐसा स्पीच देने बाला अपने जीवन में कभी नहीं देखा,वह व्यक्ति टीवी पर भाषण सुन रहा था। जो दूसरी पार्टी से संबंध रखता था महाजन वर्ग से आता था।
हटाएंसही कहा साहब जी
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